नर्म मुलायम सी
खुबसूरत सी दिखती है जिन्दगी,
भीतर गर्म लावे सी पिघलती है
पल पल ये जिंदगी ,
मौहौल है मैला मैला सा
हर इंसान है भटका भटका सा,
किस से क्या उम्मीद करूँ
हर तरफ है मायूसी ,
हर चेहरे पर है बेचारगी
हालात ऐसे ही बनाती है जिंदगी,
एतबार जो बहुत था खुद पर
कतरा कतरा बिखर गया,
जाना था किस राह मुझे
कहाँ ले आई मुझे ये जि,न्दगी
गिर के फिर से उठ कर
चलने की जिद करती हूँ,
खीचने को वापस गर्त मे
मचलती है जिंदगी.
मुझे भी जिद है बर्बाद होने की
रोकने से रुकुगी नहीं,
ले ले कितने भी
इम्तिहान ये जिन्दगी.
(चित्र गूगल से साभार )
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